इंसानियत पर रहम खाइए, डॉक्टरों की मदद कीजिए: राहत इंदौरी
कल रात 12 बजे तक मैं दोस्तों से फोन पर पूछता रहा कि वह घर किसका है जहां डॉक्टरों पर थूका गया है, ताकि मैं उनके पैर पकड़कर, माथा रगड़कर उनसे कहूं कि ख़ुद पर, अपनी बिरादरी, अपने मुल्क व इंसानियत पर रहम खाएं। यह सियासी झगड़ा झगड़ा नहीं, बल्कि आसमानी क़हर है, जिसका मुक़ाबला हम मिलकर नहीं करेंगे तो हार जाएंग…